कमी सी हे
लोगो में प्रेम की कमी सी हे
आज फिर मिल जुल कर
पास पास बेठने की कमी सी हे
दमन कर दो उन नफरतो को
आज वतन की फिजा भी
कुछ बेचें सी हे
बतन में अमन हो फिर से ,
खुल कर मिलने वालो में
समाज में आज कुछ कमी सी हे
लोगो में आज प्रेम की कमी सी हे.
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