निमंत्रण श्रोता का
एक श्रोता ne मंजे कुआरे कवि के घर जा कर
दरवाजा खट खटाया
कवि महोदय ने दरवाजा खोला
बहार खड़े पस्त कद परिचित श्रोता को
देखते ही बोले
कहो महोदय कैसे कष्ट किया
श्रीमानजी आपको कष्ट देने आपके घर आया
मेरे घर होने वाली कविगोष्ठी में पधारें अवश्य
पर साथ में अपना अटला-खटला भी लेते आना
नियत तिथि पर कवि महोदय पधारे श्रोता के घर
वहां देखा हाल चाल अनोखा
सरे आमंत्रित कवि पधारे थे,
सह पत्नियाँ यह महोदय
सहम गए श्रोता बोला
आइये आइये महोदय आइये
खटला-अटला कहीं है,कुछ तो बताइए
बोले भैया,
में तो आया पांव पैदल,
खटिया हाथ ठेले पर आ रही है
कुंवारा बेचारा कवि
न समझ सका
खटला अटला का "खट राग".
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