Thursday, August 4, 2011

निमंत्रण श्रोता का

                                           निमंत्रण श्रोता का 
एक श्रोता  ne मंजे  कुआरे कवि के घर जा कर 
दरवाजा  खट खटाया 
कवि महोदय ने दरवाजा खोला 
बहार खड़े पस्त कद परिचित श्रोता को 
देखते ही बोले 
कहो महोदय कैसे कष्ट किया 
श्रीमानजी आपको  कष्ट देने आपके  घर आया 
मेरे घर होने वाली कविगोष्ठी में पधारें अवश्य 
पर साथ में अपना अटला-खटला भी लेते आना 
नियत तिथि पर कवि महोदय पधारे श्रोता के घर 
वहां देखा हाल चाल अनोखा 
सरे आमंत्रित कवि पधारे थे,
सह पत्नियाँ यह महोदय
सहम गए श्रोता बोला 
आइये आइये महोदय आइये
खटला-अटला कहीं है,कुछ तो बताइए
बोले भैया,
में तो आया पांव पैदल,
खटिया हाथ ठेले पर आ रही है
कुंवारा बेचारा कवि 
न समझ सका 
खटला अटला का "खट राग".
   


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