आभार उस देवी माँ सरस्वती का जिसके आशीर्वाद से शव्दों की अनुभूति होती हे
लेखनी चलती रहती हे .
उन सहयोगी वन्धुओ का जिनकी सदभावना बनी रहती हे ,समय समय पर उत्साह वर्धन करते रहते हे ,
उस महान समय का जो मुझे अपने व्यवसाय के बीच प्राप्त होता रहता हे , उसी अल्प समय का १९७० से सदुपयोग करता रहा हूँ
जब भी विचार आये उन्हें उसी समय लेखनिवद्ध करता रहता हूँ .
"नेह्दूत"
bahut achchi lagi.
ReplyDeletebohat achhi rachana
ReplyDeletenisandeh, rachnayein amar rehti hain..
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