Friday, February 17, 2012

क्या कविता सुनाये

क्या कविता सुनाये
सभ दुखो के साए में है
क्या कविता सुनाये
सदा रहते जो राजनीती के रंग में
केवल वही देश के सेवक है
क्या कविता सुनाये
आसमान की छत जिनकी
फुट पाथो पर नंगे बदन
वो गंदगी के कीड़े मकोड़े
क्या कविता सुनाये 
जो आलिशान बंगलो में  मानवता के चमकते दीप है
क्या कविता सुनाये
बाकी सभ कहलाते दकियानूसी
पोंगापंथी लकीर के फ़कीर
क्या कविता सुनाये
स्वतंत्रता का इतिहास लिखा हर जुबान पर 
पर सुनता कौन है
 क्या कविता सुनाये
बन्ने ए जो देश सेवक वही अज कुर्सी की चाह में
सुना है देश की हालत चिंता जनक सीमा पर तनाव है
 क्या कविता सुनाये
क्या कोई विशवास करे
हर एक लगा रहा टकटकी
क्या बोलते है
क्या कविता सुनाये
...............................................नेह्दूत
 

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