Thursday, October 4, 2012

ख्याल ......................

नजर के सामने उनके अक्स आते बहुत है ............
बो  हम से दूर गई तो दिल में ख्याल आते बहुत है .........
             थी हम से उसकी निस्वते बहुत .........
            ढलती जब शाम तो बो याद आती बहुत  ..........
ये ढलती राते फलक पलके सुनसान सन्नाटा ........
बीते दिनों के फ़साने याद आते बहुत ........
        हर कदम पर ज़िन्दगी काम आये ....
        हमें उस सांथ सांथ रहने रहने की याद आती बहत ......
नजर तआकुब में हे , उस के चहरे के .........
इसी तलाश हमने फ़रेब खाए बहुत .........
       दूर हुई न तीरगी मख्मूर इस घर के आँगन की .......
      दिये हमने हर दीवाली पे मुंडेरो पर जलाये बहुत .............
ना चाह कर भी .........
हर पल याद आये बहुत ...........
                                     (नेह्दूत )


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