समय का भेद है किन्तु हस्तिना पुर
बही इन्द्रप्रस्थ दिल्ली
वाही टिड्डी दल
आदि दल कौरब
आज हे राज तंत्र में लोक तंत्र जन तंत्र
आज शासन धर्म निरपेक्छ प्रशासन असहाय
अन्दार्वोर्ल्ड माफिया नक्सली आतंकी डाकू भय से
सिंहासन के सम्मल बीच चौराहों पर
अव्लाओ के होते चीर हरण
नाईट क्लबो अश्लील होटलों
में रोज़ लुटली कुवरिया
असहाय राज प्रमुख जन न पाते
बहार से दिए जा रहे समर्थन
कुटनीतिक घात का प्रपंच
सम्बन्ध से बने गठ्वंधन
सत्ता जाने के भय से न खुले गाँठ
भले नेतिकता की सारी टूटे कसमे
राष्ट्रध्यक्छ संविधान से बंधे असहाय
सहने को हे देखते रहने को विवश यह सरकार
' नेह्दूत '
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bahot achche.
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