Tuesday, January 11, 2011

सायकल बम

जिक्र उस सायकल बम का और बयाँ अपना अपना  ,
बन गया रकीब (प्रतिदुंदी ) आखिर जो , था भाई अपना !
भारत को एक बुलंदी पर हम और बना सकते ,
अर्श से उधर भी होता काश की वतन अपना !
भेज रहा बो जिस कदर आतंकी , हम विरोध जाता कब तक टालेंगे खतरा ,
बारे आशना ( जाना पहचाना ) निकलते उनका पला -पोसा अपना !
तीखी आलोचना करोगे कब तक कागज पर लिख भिजवाते उनको,
भारतीय फिगर (जख्म भी ) अपने खाया (कलम ) खुंच का अपना (खून में डूबा हुआ )
भारत खान दाना था (बुद्धिमान ) हर हुनर यकता (माहिर) थे
बेसबब हुआ नेह्दूत चारो पड़ोस (चीन ,नेपाल, बंगला देश पाकिस्तान) अपने !

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