Monday, March 1, 2010

देश परतंत्र न हो जाये

यु मूक बने बैठे रहने से
देश परतंत्र न हो जाये
कमाई के चक्कर में लगे रहने से
हम लोभी न हो जाये
मस्तिष्क से काम लो देशवासियों
सोते न रह जाये,
चोला बदल कर इस देश में
घूम रहे देशद्रोही
समझ कर सोती हुई इस देश की कोम को
आस पास देशद्रोही घात लगाने, चक्कर लगा रहे
फिर से देश परतंत्र न हो जाये
देशद्रोहियों से देशद्रोही हाथ मिला रहे
देशभक्तों को सोता जानकर धूम मचा रहे
कही इस देश में फिरंगी और देशद्रोही फिर सेदोस्त न बन जाये
अपना देश कहीं फिर से मोहताज न बन जाये
मस्तिष्क से काम लो देशवासियों
सोते न रह जाना
होशियार रहना,अपने घर छुपे हुए जयचंदों, मीरजाफरों से
स्वतंत्रता की देवी परतंत्रता की दासी न बन जाये
फिर से ये देश परतंत्र न हो जाये!
                                        -(नेह्दूत)

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